Sunday, April 19, 2009

हालांकि

ये पांच साल बाद आये हैं
एक वोट की भीख मांगने
इस बीच इनका चेहरा नहीं दिखा
इनका चेहरा गौर से देखो जरा
ये पांच साल बाद आये हैं.


इन्होंने सेठ से नोट लिया, वोट भी
इन्होंने गरीब को नोट दिया
और बेशर्मी से वोट की भीख मांगी
वोट के लिए अपना कुर्ता फैला दिया
ये पांच साल बाद आये हैं.


जब देश बाढ़ में डूबा था
ये विदेश में इलाज करा रहे थे
जब देश सूखे में झुलसा था
ये पहाड़ पर मौज मना रहे थे
ये पांच साल बाद आये हैं.


किसी की आबरू की इन्हें फिक्र नहीं
इनकी ही आबरू है सबसे बड़ी
प्रतिभाशाली नौजवान भटक रहे हैं
इनके बेटे फॉरेन में पढ़ रहे हैं
ये पांच साल बाद आये हैं.


इस बार भी ये वोट लेने आये हैं
सब भूलकर आप इन्हें वोट देंगे
इनकी खादी उजली, देह मोटी होगी
पांच साल तक ये नजर नहीं आयेंगे
पांच साल बाद फिर वोट मांगने आयेंगे.


हालांकि
ये इस लायक हैं नहीं
फिर भी ये वोट पायेंगे.

2 comments:

  1. hi, where are u drop me a line at
    alokvarshney@yahoo.com
    I am alok from meerut

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  2. Sahi kaha Aapne Sir....
    kaha jaata hai ki "Duniya Ummid Par hi Kaayam hai...."
    Yahan ki janta har baar yaha ki Sarkaar se Ummid karti hai, jo kabhi puri nahi hoti........Baavjud iske janta phir se Eak ummid ke saath Vot dekar Sarkaar bana deti hai.....our desh chalta rahta hai.....Kyunki Duniya ummid par hi to kaayam hai...........!

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